Dhaan Ki Kheti Paddy Farming Hindi
धान की खेती कैसे करें ? whatsapp 9814388969
धान जिसे चावल भी कहते हैं। इसकी खेती ज़्यादातर उत्तर प्रदेश बिहार और उस एरिया में की जाती है जहां पर पनि की अधिक मात्रा हो। पंजाब हरयाणा मैं इसकी खेती करते तो हैं लेकिन ये पर्यापत जगह नहीं है। किओंकी धान पानी का सतर नीचे करता है मतलब ये पानी जियादा खेींचता है। लेकिन फिर भी सीधी बिजाई और दुसरे तरीकों से धान की खेती काम पनि की लगत से कर सकते हैं।
धान की खेती के लिए मौसम में नमि की मात्रा
अगेती फसलों के लिए 82 to 86 और पिछेती फसलों के लिए 66.5 to 68.5 प्रतिशत तक ही पर्यापत है।
धान की खेती के लिए तापमान :- धान गर्मी में ही अच्छा होता है . सो इसके लिए तापमान बीस डिग्री से चालीस डिग्री और दान पड़ने की सूरत मैं पचीस से तीस डिग्री तापमान मान्य है।
धान की खेती की तैयारी :- बीज को बीज अमृत या अन्य बीज साधक से बीज का उपचार करना चाहिए। औार फिर खेती को अच्छे ढंग से लेवल करना चाहिए। पौध की तैयारी मधय मई और रोपाई मद्य जून से स्टार्ट कर देनी चाहिए।
सिफारिश बीज ही बीजें और जिनकी मंडी मैं मुसीबत न आये। काम पनि के एरिया में अपने पानी के लेवल को देखते हुए फसल बीजें। खादें जरूरत के मुताबिक सलाह से ही डालें जियादा खाद जियादा मुसीबत वाली बात होती है धान के लिए। जितना कम हो सके केमिकल उसे करें इस से आपके मित्र कीट मरने की आशंका रहती है जिस से दूसरी फसलों पर नुक्सान होने की सम्भावना बढ़ जाती है। जैविक और आर्गेनिक ढंग से ट्रीटमेंट करें।
हरि खाद जैसे जंतर मूंग जैसी फसले बीज कर बीच मैं ही र्ल दें और निट्रोजन की मात्र खेत में बनाए और बहरी खर्च कंट्रोल करें।
और या फिर गोबर खाद दस तन प्रति एकड़ के हिसाब से डाले।
धान की किस्में :-
Jaya:- 140 to 145 days 25+Quintal Per acre
PR 106:- 143 to 146 days 23-24 Q
PR 116:- 144 to 146 days 27-28 Q
PR 118:- 157 to160 days 28-29 Q
PR 121:- 142 to 144 days 29-30 Q
PR 122:- 146 to 148 days 30-31 Q
PR 123:- 142 to 144 days 28-29 Q
PR 124:- 134 to 136 days 20-30 Q
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धान का बीज उपचार :- बीज का उपचार करने के लिए बीज अमृत या प्रयोग करें।
बिजाई का ढंग :- अगेती पौध तीस दिन और जियादा टाइम वाली पैंतीस दिन लेती है। पौध को चालीस से जियादा दिन नहीं रखना चाहिए नहीं तो पौध सही ढंग से काम नहीं करती सही समय की बिजाई के लिए तेंतीस (33) पौधे प्रति वर्ग मीटर और बाद वाले पेंतालिस पौध प्रति वर्ग मीटर लगा सकते हैं।
पौध को बेड पर भी लगा सकते हैं। इसमें दो दिन बाद पनि देते रहे और पौध को 9 cm की दूरी पर लगाए। इस ढंग से पनि की काफी बचत की जा सकती है।
आम तौर पर खेत को पनि से भर कर कदु करें। उसके बाद पचीस किलो यूरिया और सुपर पचास किलो डालें। और पौध लगाए।
नदीन (खरपतवार ):- हो सके तो हाथो से गुड़ाई निराई करके ही निकलें। या फिर पेस्टिसाइड वालो सो मदद मांगे
सीधी बिजाई :- सीधी बिजाई गेहूं की मशीन या नीचे दी गई मशीन से भी कर सकते हैं। जिस से लेबर कम लगती है और बीज भी सही जगह पर गिरता है। जो की बीस सेंटीमीटर पर होना चाहिए। सिद्धि बिजाई में बीज जियादा नीचे नहीं डालना चाहिए।
सिंचाई :-नार्मल कदु करने के बाद पंद्रह दिन तक काम से काम पानी खड़ा रहना चाहिए। और जब फसल पकने पर हो तो पंद्रह बीस दिन पहले पानी बंद कर देना चाहिए।
धान की बीमारियां :-
पत्ता लपेट सुंडी
तेला
तना भेदक सुंडी
जड़ की सुंडी
टिड्डी दल
ब्लास्ट
जूल्स रोग
बुरे ध्हबे
कणगिारि
बाँट रोग
रोग की फोटो खींच कर भेजें और अच्छी दवाई का प्रयोग ही करें और अपनी फसल तंदरुस्त करें।
धान की कटाई :- धान की फसल को कम्बाइन से काट सकते हैं। इसकी पराली को खाद के रूप मैं खेत मैं गला सकते हैं। और जैविक वृद्धि कर सकते हैं। आग नहीं लगनी चाहिए इस से वातावरण और खेती दोनों को नुक्सान होता है। बाकी जानकारी भी modernkheti.com पे टाइम टाइम पे मिलती रहेगी धन्यवाद
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