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परिचय:
खेती में प्रयोग में लाए जाने वाले कृषि निवेशों में सबसे मंहगी सामग्री रासायनिक उर्वरक है। उर्वरकों के शीर्ष उपयोग की अवधि हेतु खरीफ एवं रबी के पूर्व उर्वरक विर्निमाता फैक्ट्रियों तथा विक्रेताओं द्वारा नकली एवं मिलावटी उर्वरक बनाने एवं बाजार में उतारने की कोशिश होती है। इसका सीधा प्रभाव किसानों पर पड़ता है। नकली एवं मिलावटी उर्वरकों की समस्या से निपटने के लिए यद्यपि सरकार प्रतिबद्ध है फिर भी यह आवश्यक है कि खरीददारी करते समय किसान भाई उर्वरकों की शुद्धता मोटे तौर पर उसी तरह से परख लें, जैसे बीजों की शुद्धता बीज को दांतों से दबाने पर कट्ट और किच्च की आवाज से, कपड़े की गुणवत्ता उसे छूकर या मसलकर तथा दूध की शुद्धता की जांच उसे अंगुली से टपका कर कर लेते है। कृषकों के बीच प्रचलित उर्वरकों में से प्रायः डी.ए.पी, जिंक सल्फेट, यूरिया तथा एम.ओ.पी. नकली/मिलावटी रूप से बाजार में उतारे जाते है। खरीदारी करते समय कृषक इसकी प्रथम दृष्टया परख निम्न सरल विधि से कर सकते हैं और प्रथम दृष्टया उर्वरक नकली पाया जाए तो ऐसी स्थिति में विधिक कार्यवाही किए जाने हेतु इसकी सूचना जनपद के उप कृषि निदेशक एवं जिला कृषि अधिकारी को दी जा सकती है।
फल सब्जी व अनाज की पैदावार बढ़ाने में रासायनिक खादों का इस्तेमाल बहुत मददगार साबित हुआ है, लेकिन अब महंगी खादों की आड़ में किसानों की जेबें कट रही हैं. ऊपर से खाद अब 100 फीसदी खालिस मिलनी मुश्किल हो रही है, लिहाजा खेत में डाली खाद का असर आधाअधूरा दिखता है.दरअसल खरीफ की फसलों के लिए अप्रैल से सितंबर तक व रबी के लिए अक्तूबर से मार्च तक मांग बढ़ने से खादों की किल्लत मची रहती है. ऐसे में खादों की कालाबाजारी होती है. साथ ही मिलावटखोरों की पौ बारह हो जाती है. इस खेल से नफा चालबाजों का व नुकसान किसानों व उन की फसलों का होता है. खादों में मिलावट के 3 तरीके हैं.
पहला तरीका है खाद की नकली बोराबंदी यानी बोरे पर किसी नामी कंपनी का नामनिशान छपा होता है, पर उस के अंदर घटिया खाद भरी होती है. इस के लिए मशहूर कंपनियों की खादों के खाली बोरे खरीद कर उन में नकली खादें भर दी जाती हैं. दूसरे तरीके के तहत महंगी खादों में सस्ती खादें मिलाई जाती हैं और तीसरे तरीके में खाद में नमक व रेत वगैरह मिलाया जाता है. यूरिया में नमक, सिंगल सुपर फास्फेट में बालू व राख, कापर सल्फेट, फेरस सल्फेट व म्यूरेट आफ पोटाश में रेत व नमक मिलाया जाता है. डीएपी में दानेदार सिंगल सुपर फास्फेट व राक फास्फेट, एनपीके में सिंगल सुपर फास्फेट या राक फास्फेट, जिंक सल्फेट में मैगनीशियम सल्फेट मिला दिया जाता है.हालांकि आम किसानों के लिए मिलावटी खादें पकड़ना आसान नहीं हैं, फिर भी खुली खादें कभी न खरीदें किसान इफको व कृभको की खादें कोआपरेटिव सोसायटी से लें या फिर किसी नामी कंपनी की खाद भरोसे की दुकान से खरीदें. खाद लेते वक्त रसीद व बोरे की सिलाई अच्छी तरह से देख लें. यदि जरा सा भी शक हो तो सुबूत सहित खेती महकमे के अफसरों से उस की शिकायत जरूर करें. भारत सरकार के खेती मंत्रालय ने रासायनिक उर्वरकों की क्वालिटी कंट्रोल के लिए एक संस्था बना रखी है, जिस का नाम है केंद्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान. इस संस्था ने खादों में मिलावट की जानकारी देने के लिए फोल्डर व मिलावट जांचने के लिए किट बनाया है. इन के जरीए किसान खुद खाद में मिलावट की जांच कर सकते हैं. इस के अलावा खाद खरीदते वक्त दुकानदार से मिली रसीद की फोटो कापी के साथ खाद का नमूना इस संस्थान को जांचने के लिए भेज सकते हैं. किसान के इस नुकसान के लिए नकली उर्वरक भी जिम्मेदार होता है। कई बार डीएपी में पत्थर मिले हैं तो यूरिया भी मिलावटी मिली है। सबसे ज्यादा मिलावट महंगी खादों यानी डाई आमोनियम फास्फेट में होती है। इन्हें देखकर पहचान करना कई बार आसान नहीं होता, लेकिन अगर किसान थोड़ी सतर्कता बरते तो वो घाटे से बच सकता है। इस लिए आज हम बताने जा रहे हैं कि किसान भाइ ऊर्वरक की गुणवत्ता को कैसे पहचाने ।
उर्वरकोंको परखनेकेतरीके:
यूरिया एक कार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र (NH2)2CO होता है। कार्बनिक रसायन के क्षेत्र में इसे कार्बामाइडभी कहा जाता है। यह एक रंगहीन, गन्धहीन, सफेद, रवेदार जहरीला ठोस पदार्थ है। यह जल में अति विलेय है। है। कृषि में नाइट्रोजनयुक्त रासायनिक खाद के रूप में इसका उपयोग होता है। यूरिया को सर्वप्रथम १७७३ में मूत्र में फ्रेंच वैज्ञानिक हिलेरी राउले ने खोजा था परन्तु कृत्रिम विधि से सबसे पहले यूरिया बनाने का श्रेय जर्मन वैज्ञानिक वोहलर को जाता है। यूरिया का उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में होता है।
यूरिया को परखने की विधि :
सफेद चमकदार, लगभग समान आकार के गोल दाने। पानी में पूर्णतया घुल जाना तथा घोल छूने पर शीतल अनुभूति। गर्म तवे पर रखने से पिघल जाता है और आंच तेज करने पर कोई अवशेष नही बचता।
डी.ए.पी. (डाई) को परखने की तरीका:
डीएपी असली है या नकली इसकी पहचान के लिए किसान डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मसलने पर यदि उसमें से तेज गन्ध निकलेए जिसे सूंघना मुश्किल हो जाये तो समझें कि ये डीएपी असली है। किसान भाइयों डीएपी को पहचानने की एक और सरल विधि है। यदि हम डीएपी के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें यदि ये दाने फूल जाते हैं तो समझ लें यही असली डीएपी है किसान भइयों डीएपी की असली पहचान है। इसके कठोर दाने ये भूरे काले एवं बादामी रंग के होते है। और नाखून से आसानी से नहीं टूटते हैं।
सुपरफास्फेटकोपरखनेकातरीका:
किसान भाइयों सुपर फास्फेट की असली पहचान है इसके सख्त दाने तथा इसका भूरा काला बादामी रंग। किसान भाइयों इसके कुछ दानों को गर्म करें यदि ये नहीं फूलते है तो समझ लें यही असली सुपर फास्फेट है ध्यान रखें कि गर्म करने पर डी.ए.पी. व अन्य काम्प्लेक्स के दाने फूल जाते है जबकि सुपर फास्फेट के नहीं इस प्रकार इसकी मिलावट की पहचान आसानी से की जा सकती है। किसान फाइयों सुपर फास्फेट नाखूनों से आसानी से न टूटने वाला उर्वरक है। किसान भाइयों ध्यान रखें इस दानेदार उर्वरक में मिलावट बहुधा डी.ए.पी. व एन.पी.के. मिक्स्चर उर्वरकों के साथ की जान dh सम्भावना बनी रहती है।
जिंकसल्फेटकोपहेचाननेकातरीका:
अब हम जिंक सल्फेट की असली पहचान के बारे में जानने का प्रयास करते हैं द्य इसके दाने हल्के सफेदए पीले तथा भूरे बारीक़ कण के आकार के होते हैं जिंक सल्फेट में मैंग्नीशिम सल्फेट प्रमुख मिलावटी रसायन है। भौतिक रूप से समानता के कारण नकली असली की पहचान कठिन होती है। डी.ए.पी. के घोल में जिंक सल्फेट के घोल को मिलानेपर थक्केदार घना अवक्षेप बन जाता है। मैग्नीशियम सल्फेट के साथ ऐसा नहीं होता। जिंक सल्फेट के घोल में पतला कास्टिक का घोल मिलाने पर सफेद, मटमैला मांड़ जैसा अवक्षेप बनता है, जिसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिलाने पर अवक्षेप पूर्णतया घुल जाता है। यदि जिंक सल्फेट की जगह पर मैंग्नीशिम सल्फेट है तो अवक्षेप नहीं घुलेगा।
पोटाश को पहेचानने का तरीका:
असली पोटाश को पहचानने की पहली विधि है कि इसको पानी में घोलने पर इसका लाल भाग पानी में ऊपर तैरता रहता है | इसको पहचानने की दूसरी विधि भी है | इसका सफ़ेद दाना सफ़ेद तथा लाल मिर्च जैसा मिश्रण होता है | यदि दानों को नम कर दें तो आपस में चिपकते नहीं हैं तो समझो कि यही असली पोटाश है | पोटाश की असली पहचान है इसका सफेद नमक तथा लाल मिर्च जैसा मिश्रण।
गन्ने की बिजाई :-हमारे से जुड़े रहने के लिए व्हाट्सप्प नंबर 9814388969 सेव करके अपना पूरा नाम और पता भेजें जिस से आपको पूर्ण जानकारी मिलती रहेगी आपके सुझाव हमारे लिए बहुत जरूरी हैं सुझाव जरूर देना
गन्ने की बिजाई आठ फुट बाई चार फुट की तकनीक से पतझड़ में (अगस्त -समबर में ) होती है। ये विधि बहुत ही आसान , सस्ती और जियादा पैदावार देने वाली होती है। ये विधि कुदरती स्रोत भी बचाती है। और खेती का प्रदूषण भी कम होता है। इस विधि से कम रसायन लगा कर भी अच्छी पैदावार ले सकते हैं। इस विधि से फसल की पैदावार और गुणवत्ता में भी इज़ाफ़ा होता है। ये विगियनिक और आर्गेनिक कुदरती दोनों पर ही लागू होता है। लेकिन ये जरूरी है की निम्नलिखत बातों का धियान रखा जाये।
गन्ने की बिजाई का समय :- पंद्रह अगस्त से पंद्रह सितम्बर।
खेत की तैयारी और खाद की मात्रा :- खेत को तैयार करने के लिए बिजाई से पंद्रह दिन पहले आठ टन गोबर खाद,या प्रेस मड डालें प्रति एकड़ डालें। फसल बीजने से पहले एक थैला DAP का डालें और इसके बाद बेड बनाए। गन्ने की फसल में बिजाई के बाद कुल दो थैले यूरिया के डालें .
आधा थैला पेंतालिस दिन बाद
आधा उसके तीस दिन बाद
आधा फरबरी में
बाकि बचा अप्रैल में डालें
पोटास मिट्टी की परख के हिसाब से डाले। गन्ने की फसल में जो अंतराल फसल बीजते हो तो समय समय पर हमारे से कांटेक्ट करते रहे।
खेत का लेवल करना :- खेत को अच्छे से लेज़र लेवलर या और किसी चीज से बिलकुल समतल बनाए। इस से फसल में इक्सार्ता आती है।
लाइन से लाइन की दूरी :- गन्ने की बिजाई हर दुसरे बेड पे की जाये जिसमे लाइन से लाइन का फैसला आठ फुट रहे।
ganna lines
बेड की दिशा :- बेड की दिशा पूरब पश्चिम (east -west ) होनी चाहिए।
गन्ने की पोरी (टुकड़े करना ):- एक पोरी जिसकी लम्बाई चार से आठ इंच होती है उसको आँख से एक इंच नीचे से काटना चाहिए निचे दी गई फोटो को धियान से देखें।
ganna cutting
गन्ने के बीज का शुद्धिकरण ( बीज शोध ):- गन्ने के बीज को रोग मुक्त करने के लिए। बीज अमृत से शोधें। या फिर 125 gram Amisan -6 या Begalol -6 से 50 लीटर पानी से प्रति एकड़ के हिसाब से शोध करें।
अगर दीमक और अगेती कीट से बचाना है तो दो लीटर क्लोरोपैरीफास बीस ई सी को चार सो किलो पानी में मिला कर सरे खेत में स्प्रे करें।
बीज लगने का ढंग :- बीज को हमेशा खड़ा ही लगाए जैसे फोटो में दिया गया है। ये वो स्थिति है जो कुदरत ने गन्ने को दी है। गन्ने के टुकड़े को दो इंच ज़मीन में दक्षिण दिशा में लगाए।
गन्ने के टुकड़े से टुकड़े का फासला चार फुट होना चाहिए।
टुकड़ा लगने की जगह :- बेड की दक्षिण दिशा की ढलान के बीच में लगाए जहां ये टुकड़ा पानी लगी खाल में लगना चाहिए।
बीज की मात्रा :- इस विधि से गन्ने की बिजाई करने से कम बीज लगता है। इस से बारह सो पचास (1250) टुकड़े प्रति एकड़ लगते हैं। जिसके लिए डेढ़ से दो क्विंटल बीज ही लगता है। इस विधि से पचासी से पचानवे प्रतिशत बीज की बचत होती है।
गन्ने के साथ अंतराल फसलें :- इस विधि के साथ आप बहुत सारी फसलें अंतराल में बीज सकते हैं। जैसे की आलू ,प्याज ,लहसुन ,गाजर ,शलगम ,मूली ,मेथी ,धनिए ,पालक ,गोभी ,बंद गोभी, ब्रोक्कोली ,सरसों,मटर ,उरद मसरी,मूंग चुकंदर ,टमाटर ,खीरा गेहूं,मक्की जवि गेंदा ,भिंडी ,शिमलामिर्च ,फ्रांसबीन ,हल्दी ,टिण्डा ,छप्पन कदु इतियादी।
नदीन (खरपतवार ) की रोकथाम :- नदीं गुड़ाई निराई से खत्म हो सकता है। लेकिन अगर आप कोई रसायन स्प्रे करना चाहते हैं तो हमसे पूछे किओंकी हर अंतराल फसल को देखते हुए अलग स्प्रे है नहीं तो अंतराल फसल को नुकसान हो सकता है।
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गन्ने के बूटे का न उगना या मर जाना :- इसके लिए आपको एक कोने में पचास बुटे इकठे पौध की शकल में लगने होंगे हो बूटा मर गया या काम हुआ या लेट हुआ या टूट गया तो उसकी जगह पर कोने से बूटा उखाड़ कर वह लगा दें जिस से आपकी फसल ेकदुं अच्छी रहेगी .
गन्ने के बेड को मिट्टी लगाना :- गन्ने की फसल को गिरने से पचने के लिए आपको। उसमे टाइम टाइम पर मिट्टी जरूर लगनी पड़ेगी जिस से पौधे को मजबुती और तत्व मिलते रहेंगे। ये अंतर फसल के बाद अप्रैल मई में लगन चाहिए। कतारों को रोटावेटर से भी साफ़ कर सकते हैं। इस से नदीनो से भी रहत मिलेगी पनि लगन आसान होगा और पानी सिर्फ दो फूल में ही लगेगा बाकि छेह फुट में पनि लगने की जरूरत नहीं है। जिस से समय और पानी और पैसा पउर लबोर सभी की बचत होगी।
कीट और बिमारिओं से रोकथाम:- इसके लिए भी हमारे से टाइम टाइम पे फोटो भेज कर व्हाट्सप्प पर सलाह ले सकते हैं।
गन्ने के बड़ा होने पर उसकी मदर रुट को गन्ने की कटाई से पहले नहीं काटना चाहिए।
इस विधि से आप अच्छा पैसा बचा और बना सकते हैं और आसान तरीके से दिमाग से अच्छी पैदवार ले सकते हैं। जितना जियादा हो सके कुदरती खेती करें रसायनों से बचें अपना और दूसरों की सेहत का भी ख्याल रखें। धन्यवाद
sugarcane bud chipper
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