Dhan ki kheti kaise karen? Informative 4 Farmers

Dhan ki kheti kaise karen

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Dhan ki kheti kaise karen

dhaan ki kheti paddy farming
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धान के लिए पौध की बिजाई पे पानी का सही उपयोग  whatsapp modernkheti.com 9814388969
धान की पौध लगाने पे फिर इसकी बिजाई का समय आ गया है | भारत की मुख समस्या जमीन के निचले पानी का लगातार निचे गिरता लेवल है जिस वजह से जमीन का पानी निकलने की लिए सबमर्सिबल मोटर का उपयोग करना पड़ रहा है नतीजे में खर्चा बड़ा है | धान को सही समय बिजाई के बाद खेत में लगाने से पानी की बचत की जा सकती है | धान का अच्छा झाड़ लेने के लिए पौध की बिजाई मई में की जानी चाहिए | ज्यादा समय लेने वाली किस्मे जैसे PR 122 की पौध लगने का समय 15 मई से 20 मई और दरमिआना समय लेने वाली किस्मे जैसे की PR 123, PR 121, PR 114, PR 113 के लिए 20 से 25 मई तक का समय पौध के लिए सही है | आम तोर पे बिजाई से 25-30 दिन के बाद धान की पौध लगाने के लिए तैयार जाती है | अगर किसी कारण पौध निकाल के धान की लुयाई नहीं की गयी तो पौध 50 दिन की उम्र तक भी खेत में लगाई जा सकती है | कम समय लेने वाली किस्मे (PR 115, PR 124, PR 126) जिन लवाई पिछेती होती है, के लिए बिजाई का समय 20-30 मई है |

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इन किस्मो के लिए पौध की उम्र 30-35 दिन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए | बासमती के अच्छी किस्म के चावल और झाड़ पैदा करने के लिए पौध को निकाल के लगाने का समय बहुत महत्वपूर्ण है | इस किस्म के सीटे उस समय पड़ते हैं जब दिन की लम्बाई सही होती है | अगेती फसल उस समय सीटों पे आ जाती है जब तापमान ज्यादा होता है जिस से चावल पकने के गुणों पे असर पड़ता है | अगर बासमती 370 और बासमती 386 किस्मो की पौध अगेती खेत में लगाई जाये तो इससे फसल बहुत उची होने से गिर जाती है | धान की लम्बे समय में पकने वाली किस्में लगाने से सिंचाई के पानी की जरूरत बाद जाती है | किसान को काम समय में पकने वाली किस्मों को तरजीह देनी चाहिए ता की पानी की बचत हो सके और बासमती धान की ज्यादा गुणवत्ता वाली किस्मे लगानी चाहिए | थोड़े समय में पकने वाली किस्मे जैसे की PR 115(125 दिन ) PR 124 (135 दिन) PR 126 (123 दिन ) किस्म सब से ज्यादा सही है | यह किस्मे धान की और किस्मों के मुकाबले खेत में 15-20 दिन काम रहने से काम पानी मांगती हैं |
Ready किये खेत में पौध लगाने के 2 हफ्ते बाद तक पानी खेत में खड़ा रहना जरूरी है इस से पौध के पेड़े खेत में अच्छी तरह जम जायेंगे | इस के बाद पानी उस समय दें जब पहले के पानी को खपत होये दो दिन हो गए हों लेकिन इस बात का ध्यान रखें की की जमीन पे तरेड़ें न पड़ें इस से सिंचाई के पानी काफी बचत हो जाती है और फसल के झाड़ पे भी कोई असर नहीं पड़ता | पानी की बचत की लिए 15-20 सेंटीमीटर गहराई में लगे तैशीओमीटर में पानी का लेवल हरी पट्टी से पिली पट्टी में दाखल होने से (15 20 सेंटीमीटर ) पानी लगाएं | खेतों में पानी 10 सेंटीमीटर से ज्यादा नही होना चाहिए | फसल पकने से दो हफ्ते पहले पानी देना बंद कर देना चाहिए ताकि कटाई आसान हो सके |
धान की सीधी बिजाई, कदु करके धान लगाने का एक बदल है , जिस से लेबर और लगाने में खपत होने वाली ऊर्जा की खपत काम की जा सकती है | इस तरिके से कदु करने के मुकाबले 10-15 प्रतिशत पानी की बचत की जा सकती है | धान ki सीधी बिजाई के लिए जून का पहले पंद्रह दिन और बासमती किस्मो के लिए जून का दूसरे पंद्रह दिन सही हैं |
अगर धान की सीधी बिजाई सके खेत में की जाती है तो बिजाई के तुरंत बाद सिंचाई करें और दूसरी सिंचाई 4-5 दिन बाद करें | अगर धान की बिजाई moisture किये खेत में की गयी है तो पहली सिंचाई बिजाई के 5-7 दिन बाद की जनि चाहिए | आखरी पानी धान कटने से दस दिन पहले दें | लेकिन धान की सीधी बिजाई केवल medium से heavy जमीनों में की जा सकती है | इस तरह से बीजी फसल को छोटे खुराकी तत्त्व और नदिनों की रोकथाम में ज्यादा धिआन देना चाहिए | धान की काम समय लेने वाली PR 115 किस्म सीधी बिजाई के लिए सही है | बासमती धान की किसमों से पूसा बासमती 1121 और पूसा बासमती 1509 धान की सीधी बिजाई के लिए सही हैं |
जमीन के निचले पानी की बचत के लिए कुछ सुझाव निचे दिए गए हैं

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लेज़र कराहे से खेत को लेवल करने से सिंचाई वाले पानी की संभल करना बहुत लाभदायक है |
ऐसा करने से खाद के खर्चे पर 15-20 प्रतिशत पानी की बचत होती है | बिना लेवल किये खेत में पानी लगाने से ज्यादा पानी लगता है|
टूबवेल या नहर के मोघे से खेत में पानी पहुंचते समय कच्चे खेलों से पानी रिसने से पानी जयदा बर्बाद होता है | नेहरी पानी की बचत करने के लिए खालों को पक्का करना चाहिए ऐसा करने से 10-20 परिषत पानी की बचत होती है | टूबवेल वाले क्षेत्र में टूबवेल से ले के खेत तक पानी को ले जाने की लिए पाइप का उपयोग करना चाहिए | यह पाइपें कंक्रीट या प्लास्टिक की बनी होती हैं | ऐसा करने से पानी की वंड भी अच्छी हो जाती है और ख़ालिओं की निचे से रकबा बच के खेतियोग जगह बढ़ जाती है |

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